Samsung: एप्पल के मामले में आखिर क्यों नहीं दिया Xiaomi-Realme ने Samsung का साथ ? क्या कहा realme की कंपनी ने ?..यहाँ जानिए पूरा मामला।

Bhavuk

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सूत्रों के अनुसार बताया जा रहा है की केंद्र सरकार की तरफ से वन नेशन वन चार्जर स्कीम में थोड़ी सी देरी हो सकती है क्योंकि एक समान चार्जिंग पोर्ट के नियम की डेडलाइन अभी तक तय नहीं की गई है। स्मार्टफोन, टैबलेट औरकई डिवाइस के लिए एक समान चार्जिंग पोर्ट की मान्यता के लिए इंतजार करना होगा। यह मामला सैमसंग और ऐपल के नए चार्जिंग पोर्ट रेगुलेशन के लागू करने की टाइमलाइन पर आया है। सरकार का मानना है कि यूनिफॉर्म चार्जर का नियम लागू करने से मोबाइल एक्सपोर्ट पर खराब असर पड़ेगा।

Samsung: वन चार्जर स्कीम को लागु करने की उम्मीद

केंद्र सरकार की तरफ से वन नेशन वन चार्जर स्कीम को लागू करने में देरी की उम्मीद है, क्योंकि सरकार की ओर से अभी तक एक समान चार्जिंग पोर्ट के नियम को लागू करने की डेडलाइन तय नहीं की गई है। इस मामले में केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मिनिस्टर राजीव चंद्रशेखर ने बताया कि स्मार्टफोन, टैबलेट और अन्य डिवाइस के लिए एक समान चार्जिंग पोर्ट के लिए थोड़ा इंतजार करना होगा।

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Samsung: क्यों वन नेशन वन चार्जर में हो रही देरी?

यह मामला सैमसंग और ऐपल के नए चार्जिंग पोर्ट रेगुलेशन के लागू करने की टाइमलाइन पर आया है। एक्सपर्ट की मानें, तो सरकार का मानना है कि यूनिफॉर्म चार्जर का नियम लागू करने से मोबाइल एक्सपोर्ट पर खराब असर पड़ेगा। मतलब इससे भारत से बाहर जाने स्मार्टफोन में कमी आ सकती है। ऐसे में भारत की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ने की संभावना है। यही वजह है कि भारत मोबाइल, लैपटॉप और अन्य इलेक्ट्रॉनिक कंपनियों पर एक समान चार्जिंग नियम लागू करने को लेकर अतिरिक्त दबाव डालने से बच रही है।

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Samsung: नहीं बन पा रही सहमति

अगर हम रिपोर्ट की मानें, तो यूएसबी टाइप सी चार्जिंग पोर्ट को स्टैंडर्ड चार्जिंग पोर्ट के तौर पर मान्यता देने को लेकर काफी पहले सहमति बन गई थी। लेकिन इसकी डेडलाइन को लागू करने की डेट को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है।

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Samsung: क्या रही है वजह?

सैमसंग यूरोपियन यूनियन (ईयू) की तय टाइम लाइन 28 दिसंबर 2024 को भारत में लागू करने का दबाव डाल रही है। ऐपल का कहना है कि यूरोपियन यूनियन के लागू होने के 6 माह की डेडलाइन देनी चाहिए। रियलमी, शाओमी और लेनोवो भी ऐपल की तरह 6 माह का अतिरिक्त समय मांग रही है। सैमसंग का कहना है कि ईयू के साथ नियम को लागू करने से स्मार्टफोन मैन्युफैक्चरिंग पर गलत असर पड़ेगा।

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