Republic Day: 26 जनवरी को पूरे देश में होने वाले 75वें गणतंत्र दिवस का धूमधाम से स्वागत है! इस बार का संदेश है – फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों हमारे मुख्य अतिथि होंगे। गणतंत्र दिवस के मौके पर हम सभी मिलकर अपने देश के गौरव का जश्न मनाएंगे।
इस बार की खास बात यह है कि गणतंत्र दिवस शुक्रवार को है, इसलिए लोगों ने लॉन्ग वीकेंड की तैयारी कर ली है। आइए, हम सभी मिलकर इस खास मौके को धूमधाम से मनाएं और हमारे देश की एकता और समृद्धि की दिशा में आगे बढ़ें। गणतंत्र दिवस की परेड देखना हमारे देश की भावना को और बढ़ाता है, जो हमें गर्व महसूस करने का मौका देता है। आइए, सभी मिलकर इस महत्वपूर्ण दिन को खास बनाएं और हमारे साथी नागरिकों के साथ मेलजोल को और मजबूत करें।
जब पूरा देश गणतंत्र दिवस के लिए तैयारी कर रहा है, तो हमें इस दिन के महत्वपूर्ण और सांस्कृतिक सिद्धांतों पर ध्यान देना चाहिए। सबसे बड़ा सवाल है – गणतंत्र दिवस क्यों हमेशा 26 जनवरी को मनाया जाता है? इस दिन का महत्व और इतिहास हमें जानना चाहिए।
Republic Day: 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस क्यों मनाया जाता है?
26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन, वर्ष 1950 में हमारा नया संविधान प्रभाव से लागू हुआ था. 15 अगस्त 1947 को तो हमें स्वतंत्रता मिली थी, लेकिन उस समय हमारे पास कोई ठोस संविधान नहीं था. तब डॉ. बीआर अम्बेडकर के नेतृत्व में एक समिति ने एक संविधान तैयार करने का काम किया. 4 नवंबर 1947 को संविधान का पहला मसौदा संविधान सभा में पेश किया गया. इसके बाद दो सालों तक होने वाली चर्चा और समीक्षा के बाद, आखिरकार 24 जनवरी 1950 को हमारा संविधान स्वीकृत हुआ और यह दिन गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है.
Republic Day: देश में लागू हुआ था संविधान
जब हमारा देश अपना संविधान बनाने की योजना बना रहा था, तो 308 सदस्यों ने मिलकर इसे हस्ताक्षर किया। एक कॉपी हिंदी में थी और एक अंग्रेजी में। इससे हमारा देश स्वतंत्र गणराज्य बन गया। संविधान सभा ने तय किया कि इसे दो दिन बाद लागू किया जाएगा। और फिर, 26 जनवरी 1950 को हम एक लोकतांत्रिक गणराज्य बन गए। इसलिए हर साल 26 जनवरी को हम गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं।
Republic Day: कांग्रेस से भी जुड़ा है इतिहास
26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाने का कारण एक खास इतिहास है, जो कांग्रेस से जुड़ा है. 1930 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने लाहौर सत्र के दौरान इसी दिन पूर्ण स्वराज (पूर्ण स्वतंत्रता) की मांग की थी. उस सत्र में ही पहली बार तिरंगा लहराया गया था. बीस साल बाद, उसी तारीख, यानी 26 जनवरी को, देश ने अपना संविधान लागू किया.