CM Kejriwal ED Arrest: “क्या हैं वो पांच आरोप? केजरीवाल को क्यों हो सकती है गिरफ्तार? नियमों का खेल: दिल्ली के मुख्यमंत्री के ऊपर बढ़ते सवाल”

Kamaljeet Singh

CM Kejriwal ED Arrest: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को मुश्किलें आ रही हैं। शराब नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने तीन बार नोटिस देकर उन्हें बुलाया है, लेकिन केजरीवाल जांच एजेंसी के सामने प्रस्तुत नहीं हुए हैं। आप नेताएं कह रहे हैं कि उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है। इस दौरान, ईडी ने केजरीवाल पर लगाए गए आरोपों की जानकारी भी सार्वजनिक हो गई है।

दिल्ली शराब नीति मामले में, ईडी ने पांच मुख्य बिंदुओं का जिक्र करते हुए बताया है कि उन्हें जांचने के लिए केजरीवाल से पूछताछ करना चाहती है। इसमें केजरीवाल के घर में हुई शराब नीति से जुड़ी मीटिंग से लेकर पार्टी को मिलने वाले पैसों तक का विस्तृत विवरण शामिल है। इन सभी मुद्दों पर चर्चा करते हुए यह भी देखा जा रहा है कि ईडी गुरुवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री को एक नोटिस भेज सकती है। इस संदर्भ में, यहां पांच मुख्य पॉइंट्स हैं जिनके आधार पर ईडी ने केजरीवाल पर आरोप लगाए हैं।

CM Kejriwal ED Arrest: अरविंद केजरीवाल पर क्या आरोप लगे हैं? 

ईडी की जांच में पाया गया है कि ‘प्रोसीड ऑफ क्राइम’ के दौरान 338 करोड़ रुपये आम आदमी पार्टी के पास पहुंचे हैं। मनीष सिसोदिया की बेल पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान ईडी ने 338 करोड़ रुपये की मनी ट्रेल अदालत के सामने पेश की थी, जिससे यह साबित हो रहा है कि शराब नीति के दौरान शराब माफिया से 338 करोड़ रुपये आम आदमी पार्टी के तक पहुंचे हैं। पार्टी के संरक्षक अरविंद केजरीवाल से इसका सीधा सवाल होना चाहिए, क्योंकि उन्हें इसके संबंध में जानकारी हो सकती है।

शराब नीति या आबकारी मामले के आरोपी इंडोस्पिरिट के डायरेक्टर समीर महेंद्रू ने पूछताछ में बताया कि उनकी मुलाकात विजय नायर के साथ फेस टाइम ऐप के जरिए अरविंद केजरीवाल से हुई थी। इसमें केजरीवाल ने नायर को अपना आदमी बताया और उसपर भरोसा करने की सलाह दी। इस घटना की पूरी जानकारी को ईडी से प्राप्त करना आवश्यक है।

नई शराब नीति के संबंध में हुई मीटिंग भी ईडी के ध्यानाकर्षण में होनी चाहिए। इस मुलाकात में कुछ प्रमुख नेता और लोग शामिल थे, जिससे यह साबित हो सकता है कि नई नीति का मुद्दा कैसे उठाया गया और कौन-कौन से विचार रखे गए।

मनीष सिसोदिया के सचिव सी अरविंद ने बताया कि आबकारी नीति में 6% का मार्जिन प्रॉफिट था, जिसे अरविंद केजरीवाल की मंजूरी से बढ़ाकर 12% किया गया था। इससे सिद्ध होता है कि केजरीवाल भी इस मुद्दे में शामिल थे और नई नीति के विकसन में उनकी भूमिका थी।

इसी तरह की आबकारी नीति मामले को लेकर हुई कैबिनेट बैठक के बारे में भी साक्षात्कार करना जरूरी है, ताकि यह पता चले कि मुख्यमंत्री कैसे इस मुद्दे को देख रहे थे और कैसे निर्णय लिए गए। इससे सीधे तौर पर अरविंद केजरीवाल की भूमिका का पता चल सकता है।

एक समाचार एजेंसी के मुताबिक, ईडी अब अरविंद केजरीवाल से पांच मुख्य प्रश्नों पर बातचीत करना चाहती है। केजरीवाल ने तीन नोटिस का उत्तर नहीं दिया है, और इसके चलते वह अब चौथा नोटिस भी प्राप्त कर सकते हैं। इस समय, एंटी मनी लॉन्ड्रिंग एजेंसी केजरीवाल के द्वारा भेजे गए पांच पन्नों के जवाब की जांच कर रही है। ईडी कानून ‘प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग’ के तहत दिल्ली के मुख्यमंत्री को चौथा नोटिस भेज सकती है।

CM Kejriwal ED Arrest

CM Kejriwal ED Arrest

अरविंद केजरीवाल, दिल्ली के मुख्यमंत्री, को ईडी गिरफ्तार कर सकती है, लेकिन सीएम पद पर रहते हुए उसकी गिरफ्तारी विशेष स्थिति में ही हो सकती है. इस समय सभी के मन में यह सवाल है कि क्या सीएम को गिरफ्तार किया जा सकता है और इस मामले में कानून क्या कहता है.

CM Kejriwal ED Arrest: क्रिमिनल मामलों में हो सकती है सीएम की गिरफ्तारी?

कोड ऑफ सिविल प्रोसीजर 135 के तहत, अगर कोई मुख्यमंत्री या विधायिका किसी गंभीर आरोप में फंसता है, तो उसे सिर्फ विधायक संबंधित मामलों में ही छूट मिल सकती है, नहीं तो उसे गिरफ्तार किया जा सकता है। लेकिन, इसके लिए एक नियम है कि विधानसभा के अध्यक्ष की मंजूरी जरूरी है। अगर किसी मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करना हो, तो पहले सभी सदस्यों की मंजूरी होनी चाहिए, और जब मंजूरी मिल जाए, तब ही उसे गिरफ्तार किया जा सकता है।

CM Kejriwal ED Arrest: सदन में किया जा सकता है गिरफ्तार?

धारा 135 के अनुसार, किसी भी मुख्यमंत्री या विधानसभा सदस्य को विधानसभा सत्र के 40 दिन पहले और सत्र समाप्त होने के 40 दिन बाद तक गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है. साथ ही, मुख्यमंत्री और विधानसभा सदस्य को सदन से भी गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है।

CM Kejriwal ED Arrest: किन पदों पर रहते हुए आरोपी को नहीं किया जा सकता गिरफ्तार?

अनुच्छेद 61 के अंतर्गत, जब कोई व्यक्ति राष्ट्रपति या राज्यपाल के पद पर है, तो उसे बिना किसी आपत्ति के गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। कानून के अनुसार, इस गिरफ्तारी का कोई कारगर आरोप नहीं हो सकता, चाहे वह सिविल मामला हो या क्रिमिनल। अगर राष्ट्रपति या राज्यपाल अपने पद से इस्तीफा दे देते हैं, तो उस स्थिति में उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है।

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