“अयोध्या के मूर्तिकार Arun Yogiraj ने बताई ‘मैं सपनों की दुनिया में हूं’ कहानी! पढ़े पूरी खबर!”

Kamaljeet Singh

अरुण योगीराज (Arun Yogiraj) ने भगवान राम के बचपन के रूप, रामलला, की अद्वितीय मूर्ति बनाई है। यह मूर्ति, जिसे मैसूरु के शिल्पकार अरुण योगीराज ने सृष्टि की है, अब इसे अयोध्या के राम मंदिर में स्थापित किया जाएगा ।

योगीराज ने इस नई 51 इंच की रामलला मूर्ति को पिछले गुरुवार को मंदिर के गर्भगृह में स्थित कर दिया। इस शानदार क्षण पर मूर्तिकार अरुण योगीराज ने सोमवार को यह उत्साह से कहा, “मुझे यह मान्य है कि मैं इस पृथ्वी पर सबसे भाग्यशाली व्यक्ति हूं। कभी-कभी मैं अपने काम में इतना खिंचाव महसूस करता हूं कि मेरा अनुभव एक सपने की दुनिया में होने जैसा है।” अयोध्या में भगवान श्रीराम की प्रतिमा लग गई है। राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गर्भगृह में पूजा-अर्चना की। इस समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत, और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी मौजूद थे।

रामलला की प्रतिष्ठा पूरी होने पर अयोध्या में हेलीकॉप्टर से पुष्प बरसा रहे हैं। इस खास मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, और आरएसएस के मुख्य मोहन भागवत भी मौजूद हैं। अयोध्या में राम मंदिर में रखी गई भगवान राम की मूर्ति बहुत खूबसूरत है। मूर्ति पर भगवान राम के चेहरे में अनोखी चमक है, और उसमें एक बच्चे जैसी मासूमियत भी है। इस मूर्ति की ऊचाई लगभग 51 इंच है और इसका वजन 150 किलोग्राम है। यह मूर्ति भगवान के प्रति भक्ति और समर्पण का प्रतीक है, जो लोगों को आशीर्वाद और शांति का अहसास कराती है।

कौन हैं मूर्तिकार Arun Yogiraj?

आपका स्वागत है! Arun Yogiraj, जो मूर्तिकला कला में माहिर हैं, मैसूर, कर्नाटक में रहते हैं। उनका परिवार इस कला से जुड़ा हुआ है, और उनके पिताजी, योगीराज शिल्पी, भी एक श्रेष्ठ मूर्तिकार हैं। उनके दादाजी, बसवन्ना शिल्पी ने वाडियार घराने के महलों में अपनी कला का प्रदर्शन किया था। यह बताया जा रहा है कि उनका परिवार मैसूर राजा के कलाकारों के साथ संबंधित है।

Arun Yogiraj

Arun Yogiraj: दादा की भविष्यवाणी हुई सच

शुरुआत में, Arun Yogiraj ने यह ठाना कि वह अपने पिताजी और दादाजी की तरह मूर्तिकला कला का अनुसरण नहीं करेंगे और उन्होंने 2008 में मैसूर यूनिवर्सिटी से एमबीए की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद, उन्होंने एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी शुरू की। हालांकि, उनके दादाजी ने हमेशा कहा था कि अरुण को मूर्तिकला कला में ही अपना करियर बनाना चाहिए। अंत में, अरुण ने उनकी सलाह मानी और एक अद्वितीय मूर्तिकार बन गए। उन्होंने स्वयं ही रामलला की मूर्ति बनाई और इससे अपने परिवार को गर्वित किया।

Arun Yogiraj: क्यों श्याम रंग की है रामलला की मूर्ति?

अयोध्या में बन रहे राम मंदिर की मूर्ति का रंग श्याम है। इससे कई लोगों के मन में यह सवाल उठ सकता है कि ऐसा क्यों है? क्योंकि रामायण में भी उल्लेख है कि भगवान श्रीराम का रूप श्यामवर्ण था। इसलिए, राम मंदिर में इस विशेष रंग की मूर्ति को अधिक महत्व दिया जा रहा है। भगवान श्रीराम की स्तुति में एक मंत्र है जिसमें कहा गया है – ‘नीलाम्बुज श्यामल कोमलांगम सीतासमारोपित वामभागम्। पाणौ महासायकचारूचापं नमामि रामं रघुवंशनाथम्।।’

इसका मतलब है कि जैसे नीलकमल सुंदर होता है, ठीक उसी रूप में श्रीरामचंद्र जी भी सुंदर और श्याम वर्ण के हैं। उनके शरीर पर श्याम रंग की तुलना से, सीता जी के अंगों की सौंदर्य से, और उनके हाथों में अमोघ बाण और सुंदर धनुष के साथ, वे रघुकुल के स्वामी हैं। मैं उनको नमस्कार करता हूं।

Mira Road News : प्राण प्रतिष्ठा से पहले मुंबई के मीरा रोड पर हुए दंगे, पढ़ें पूरी ख़बर।

Share This Article
Leave a comment