“Article 370 Review: क्या Yami Gautam की यह फिल्म होगी सबसे बेहतरीन? लोगों का कहना- ‘नॉमिनेशन के लिए तैयार हो बेस्ट एक्ट्रेस’”

Kamaljeet Singh

Article 370 Review: कश्मीर का सबसे पुराना मुद्दा, Article 370, जिसे मोदी सरकार ने हटाकर इतिहास रच दिया है, वह अब एक फिल्म के रूप में हमारे सामने है। डायरेक्टर आदित्य जामभले ने इस मुद्दे पर आधारित फिल्म ‘आर्टिकल 370’ को पेश किया है। इस फिल्म का मुख्य कलाकार यामी गौतम हैं। आज, 23 फरवरी, 2024 को इस फिल्म का रिलीज हो गया है।

फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग में सिनेमा जगत के अनेक स्टार्स शामिल हुए थे। सोशल मीडिया पर भी लोगों का उत्साह देखने को मिला। सभी इस फिल्म की तारीफ कर रहे हैं, और खासकर यामी गौतम की प्रशंसा हो रही है। ट्रेड एनालिस्ट का मानना है कि फिल्म अच्छा प्रदर्शन करेगी बॉक्स ऑफिस पर। लोग फिल्म को बेहद पसंद करेंगे और सभी एक्टर्स की परफॉर्मेंस को भी सराहेंगे।  यह फिल्म न केवल मनोरंजन है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण संदेश भी लेकर आई है। इसके माध्यम से हमें हमारे इतिहास और समाज की महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार करने का अवसर मिलेगा।

‘Article 370’ फिल्म एक अनोखी चित्रण है, जो हमें उस समय की याद दिलाता है जब देश एक साथ था, एक संघर्ष में जुटा था। यह कहानी है उन वीर जवानों की, जो अपने देश के लिए अपनी जान न्योछावर करने को तैयार थे।

फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे वे जम्मू-कश्मीर के Article 370 को हटाने के लिए तैयार होते हुए, अपने अंदर के जोश और जज्बे के साथ काम करते हैं। उन्होंने साहस और संघर्ष का परिचय दिया, जो उनके पास हर मुश्किल को पार करने की शक्ति देता है।

इस फिल्म में दर्शाया गया है कि कैसे न केवल उन्होंने अपनी तैयारियों के जरिए से Article 370 को हटाया, बल्कि उन्होंने जम्मू-कश्मीर के लोगों के दिलों में भारतीयता की भावना को भी जगाया। यह फिल्म हमें उन महान अनुभवों का एहसास कराती है, जिनमें हमारे वीर जवानों ने अपने देश के लिए समर्पित जीवन बिताया। इस फिल्म के जरिए से हम उनका सम्मान करते हैं और उनकी कड़ी मेहनत और बलिदान की महत्वपूर्ण भूमिका को समझते हैं।

एक फिल्म की कहानी है जो शुरू होती है एक गुप्त अधिकारी, जूनी हक्सर से। जूनी हक्सर को एक आतंकवादी संगठन के युवा कमांडर, बुरहान वानी के ठिकाने के बारे में पता चलता है। उसके बाद, एक मारक मुठभेड़ में जूनी हक्सर को नुकसान होता है। इस घटना के बाद, कश्मीर में पत्थरबाजी का दौर शुरू हो जाता है और इस घटना को लेकर जूनी हक्सर को मानकर दिल्ली में तबादला कर दिया जाता है।

Article 370

जब सरकार Article 370 को निरस्त करने का निर्णय लेती है, तब प्रधानमंत्री कार्यालय के सचिव, राजेश्वरी स्वामीनाथन, एक टीम बनाते हैं। उन्होंने कश्मीर में एनआईए ऑपरेशन के नेतृत्व के लिए जूनी हक्सर को नियुक्त किया। जूनी हक्सर की सफर शुरू होती है, जो शांति और एकता की राह पर है। लेकिन उन्हें भ्रष्ट स्थानीय नेताओं और उग्रवादियों की बाधाओं का सामना करना पड़ता है। इस सफर में उन्हें अपने दिल के कई कश्मीरी लोगों की तस्वीर दिखाई देती है, जिन्हें उन्होंने सुरक्षित रखने के लिए अपनी जान की परवाह किए बिना। यह सफर न केवल उनके लिए, लेकिन ये पूरे कश्मीर के लिए गहन संवाद का ज़रिया भी बनता है।

Article 370

एक फिल्म की कहानी को छह भागों में विभाजित किया गया है, जिसमें पहला भाग एक युवा आतंकवादी संगठन के कमांडर, बुरहान वानी, की कहानी से शुरू होता है। 2016 में उसकी मौत के बाद, घाटी में कई विरोध प्रदर्शन हुए, पत्थरबाजी हुई। इसके बाद, प्रधानमंत्री कार्यालय के सचिव राजेश्वरी स्वामीनाथन सक्रिय हो गईं। कहानी आगे बढ़ती है और समय के साथ राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होता है। लेकिन स्थिति में बदलाव नहीं होता और 2011 में पुलवामा आतंकी हमले के बाद, केंद्र सरकार कार्रवाई में आई और जम्मू और कश्मीर के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया।

इस फिल्म में एक अहम विषय पर जोर दिया गया है: कैसे केंद्र सरकार ने Article 370 को हटाने की पहल की, उस समय जम्मू-कश्मीर संविधान की खोज और उसमें छिपी गई खामियों का पता लगाया। इसके लिए 1954, 1958 और 1965 के दस्तावेजों की जांच की गई, जो एक पुराने सरकारी पुस्तकालय से मिले। इन दस्तावेजों में कई महत्वपूर्ण चूक थीं, जिनसे साफ हो गया कि जम्मू-कश्मीर से Article 370 को पहले ही हटा दिया जा सकता था। फिल्म की कहानी आदित्य धर और मोनल ठाकुर ने मिलकर लिखी है, जो निर्देशक आदित्य सुहास जंभाले ने उत्तम ढंग से पेश की है। उन्होंने इस फिल्म के माध्यम से देशभक्ति की ऊंचाईयों को साहित्य की भाषा में प्रस्तुत किया है।

Article 370

यह फिल्म एक दिल छू लेने वाली कहानी है जो जूनी हस्कर और पीएमओ सचिव राजेश्वरी स्वामीनाथन के जीवन के चारों ओर घूमती है। यहां, यामी गौतम ने जूनी हस्कर की भूमिका में एक बेहतरीन प्रदर्शन दिया है जबकि प्रियामणि ने पीएमओ सचिव का किरदार निभाया है। फिल्म में अरुण गोविल ने प्रधानमंत्री की भूमिका में अपना जादू बिखेरा है और किरण करमारकर ने गृह मंत्री के किरदार में अपनी प्रतिभा का परिचय दिया है। इसके अलावा, राज जुत्शी, सुमित कौल, वैभव तत्ववादी, स्कन्द ठाकुर और इरावती हर्षे ने भी अपनी-अपनी भूमिकाओं में चमक दिखाई है।

फिल्म की सिनेमाटोग्राफी, संकलन और बैकग्राउंड स्कोर भी दर्शकों को गहरी भावनाओं में ले जाते हैं। यह एक ऐसी कहानी है जो न केवल राजनीतिक परिदृश्य को प्रकट करती है, बल्कि मानवता के साथ-साथ जीवन के महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित करती है। इस फिल्म में दर्शक न तो सिर्फ राजनीतिक उतार-चढ़ाव का सामना करते हैं, बल्कि उन्हें जीवन के असली सत्य का भी एहसास होता है।

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