Crew Movie Review: आजकल बॉलीवुड की फिल्मों में हीरोइन-केंट्रिक कहानियों का एक अद्भुत दौर आ गया है। अब हीरोइनें सिर्फ सजावटी गुड़िया की भूमिका से ही नहीं, बल्कि प्यार, रोमांस के साथ-साथ एक्शन और आतंकवादियों से भी भिड़ सकती हैं। पिछले कुछ फिल्मों में हमने इसे देखा है और अब निर्देशक राजेश कृष्णन तब्बू, करीना, और कृति जैसी ए लिस्ट के एक्ट्रेस के साथ ऐसी कहानी को पेश किया है जिसमें हीरोइनें ही न केवल डकैती करती हैं बल्कि आपको हंसाती भी हैं। निर्देशक ने हीरोइनों को एक नए रंग में पेश किया है, लेकिन उन्होंने कहानी को भी मजबूती से बनाया है। इससे फिल्म अद्भुत हो गई है।
फिल्म Crew की कहानी
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यह कहानी कुछ इस तरह से शुरू होती है कि दिल को छू जाती है। इसमें तीन ऐर होस्टेस, गीता सेठी, जैस्मीन कोहली, और दिव्या राणा की कहानी है। वे तीनों विजय वालिया की कोहिनूर एयरलाइंस में काम करती हैं।
लेकिन इन तीनों को आखिरकार की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। एयरलाइंस ने उनके और 4000 कर्मचारियों के वेतन पर आंधोला डाल दिया है। इसके बाद गीता को अपने पति अरुण के साथ आर्थिक मुश्किलों से निपटना पड़ता है, जबकि वह अपने सपने को पूरा करने की कोशिश कर रही हैं।
यह कहानी एक इमोशनल रोलरकोस्टर है, जो हमें इन तीनों हीरोइनों की साहसिकता और संघर्ष की कहानी सुनाती है। गीता, जैस्मीन, और दिव्या का मानसिक संघर्ष और उनकी मेहनत का सफर हमें इंस्पायर करता है। इनकी कहानी देखने वालों को विश्वास दिलाती है कि हर मुश्किल के पीछे एक नई उम्मीद छिपी होती है।
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Crew का रिव्यू
जैस्मीन की जिंदगी में एक बड़ा पलटवार आया जब उनके माता-पिता का तलाक हो गया। उस समय से उन्होंने अपने नाना के साथ ही रहना शुरू किया। जैस्मीन का सपना है कि वह एक दिन अपनी कंपनी खोलें और उसकी सीईओ बनें। वह अपने सपने को पूरा करने के लिए मेहनत कर रही है।
दिव्या की कहानी भी काफी विशेष है। वह एक समय हरियाणा की टॉपर रही थी और पायलट बनने का सपना देखती रही थी। लेकिन कई कठिनाइयों के बाद, वह मात्र एयर होस्टेस बनी। उसने अपने परिवार को यही झूठ बोला कि वह पायलट है। यही सच्चाई उसकी दुखभरी कहानी का हिस्सा बन गई।
जब उन तीनों को एक दिन उनके सीनियर राजवंशी की मौत की खबर मिली, तो उन्हें एक अजीब सी स्थिति का सामना करना पड़ा। उन्हें उसकी लाश पर सोने के बिस्कुट मिले, जिससे उनकी लालसा का बुखार बढ़ गया। लेकिन उनका ईमान उन्हें इन बड़े गुनाहों से रोक लिया।
जिंदगी ने उन तीनों के साथ कई मोड़ लिए, जब उन्हें पता चला कि उनकी एयरलाइंस दिवालिया हो गई है और उनका सहयोगी विजय विदेश भाग गया है, तो उन्हें अपने सपनों को पूरा करने के लिए कठिन फैसले लेने पड़े। उन्होंने अपने ईमान को त्याग करके पैसा बनाने का रास्ता चुना।
जैस्मीन, दिव्या और उनके साथी नाना के बीच की यह कहानी हमें यह सिखाती है कि जिंदगी में किसी भी मुश्किल समय में हमें अपने ईमान को हमेशा महत्व देना चाहिए। चाहे जितनी भी तकलीफें आएं, हमें सच्चाई के मार्ग पर चलना चाहिए, क्योंकि अंत में सच्चाई ही हमें सफलता की मंजिल तक पहुँचाती है।
Crew में क्या मजबूत और क्या कमजोर
दिशानिर्देशक राजेश कृष्णन की यह कहानी उत्सव से भरपूर ढंग से शुरू होती है। फिल्म का माहौल हंसी-मजाक भरा है, और यही बात टेंशन भरे पलों को भी अधिक रोचक बनाती है। पहली झलक में ही कहानी में नई चीजें दिखाई देती हैं। इस फिल्म का एक विशेष बिंदु यह है कि दूसरी हीरोइन-केंद्रित फिल्मों की तुलना में, यहां नायिका मुख्य भूमिका निभाती है, लेकिन वह किसी फेमिनिस्ट एजेंडा का परिचय नहीं करती, बल्कि मनोरंजन का साधन बनती है। इंटरवल तक कहानी का रोमांचक अध्याय चलता है, मगर इंटरवल के बाद कहानी में कुछ बदलाव आ जाता है। सेकंड हाफ में, कुछ चीजें अधिक कन्वीनियंट बन जाती हैं।
फिल्म के दौरान, तकनीकी और संगीतीय पहलुओं की बात करें, तो जॉन स्टीवर्ट एड्री की बैकग्राउंड स्कोर बेहद शानदार है। “घाघरा”, “चोली के पीछे क्या है” और “सोना कितना सोना है” जैसे गानों को पुनर्सृजन किया गया है। दिलजीत दोसांझ और बादशाह द्वारा गाया गया गीत “नैना” भी बहुत पसंद किया जाता है।
फिल्म में कॉस्ट्यूम डिपार्टमेंट की तारीफ भी करनी चाहिए। उन्होंने तीनों हीरोइनों को बहुत ही स्टाइलिश रूप में पेश किया है। सिनेमेटोग्राफी भी बहुत आकर्षक है। अनुज राकेश धवन का काम खूब प्रशंसा पाता है।
कहानी की कुछ कमियों के बावजूद, फिल्म द्वितीय भाग में मनोरंजन का अच्छा अंदाज पकड़ती है। रन टाइम को नियंत्रित करने के लिए कुछ दृश्यों को जल्दबाजी में समेटा गया है, लेकिन फिल्म का उत्कृष्ट माहौल इसे क्षमा करने के लायक बना देता है।
Crew के कलाकार
अभिनय की बात करें तो, तीनों प्रसिद्ध अभिनेत्रियों का अभिनय फिल्म में बहुत ही मजबूत है। तब्बू अपने गीता सेठी के रोल में बेहद खूबसूरती से उतरी हैं। वे अपशब्दों और वनलाइनर्स के माध्यम से दर्शकों को हंसाती हैं, लेकिन जिम्मेदारियों और हसरतों को भी निभाती हैं। उनका अभिनय बेहद प्रभावशाली है।
वहीं, जैस्मीन के किरदार में करीना का अभिनय भव्य है। वह नैतिकता के पार अपने सपनों को पूरा करने की लालसा वाली जैस्मीन को बहुत ही साहसिक रूप से पेश किया है। इसी कारण दर्शक उनके किरदार में पूरी तरह से निहित हो जाते हैं।
तब्बू और करीना जैसी दो अभिनेत्रियों के बीच, कृति ने भी खुद को मजबूती से साबित किया है। उनकी प्रदर्शनी भी बेहद शक्तिशाली है। कपिल शर्मा को स्क्रीन पर कम स्थान मिला, लेकिन उनका अभिनय यादगार है। दिलजीत दोसांझ ने भी अपनी भूमिका को खूबसूरती से निभाया है।
शाश्वता चटर्जी जैसे विशेष अभिनेता का उपयोग ज्यादा होना चाहिए था। कुलभूषण खरबंदा और राजेश शर्मा ने भी अपने किरदारों को बहुत ही सार्थक बनाया है। सहयोगी कास्ट भी ठीक-ठाक है।